कश्मीरी हिन्दू हूं...
इन वादियों में पला बड़ा हूं मैं एक असहाय कश्मीरी हिन्दू हूं... जिहादियों द्वारा अपने घर से... तलवारों और बंदूकों के दम पर... इस घाटी से निकाला गया... मैं एक असहाय कश्मीरी हिन्दू हूं... अपनी आंखो के सामने... अपने बेटे को जिहादियों की... गोलियों से भूनते देखा हूं... मैं एक असहाय कश्मीरी हिन्दू हूं... जिहादियों के हाथों... अपनी बहू-बेटियों पर... बलात्कार होते देखा हूं... मैं एक असहाय कश्मीरी हिन्दू हूं... मेरे मुसलमान दोस्त, कोई छात्र, कोई यार... सबको बंदूक लेकर देखा हूं... मैं एक असहाय कश्मीरी हिन्दू हूं... ३० साल से इसी देश में... शरणार्थी बनकर, भीख मांगकर, जी रहा हूं... मैं एक असहाय कश्मीरी हिन्दू हूं... दर दर ठोकरे खाते फिर रहा हूं, न्याय के लिए गिड़गिड़ा रहा हूं... अपने घर कश्मीर जाने की राह देख रहा हूं... हां, मैं एक असहाय कश्मीरी हिन्दू हूं 🙏🏻 कवि - सुमेधराव मालंडकर